सम्पादक काशी मिश्रा
अंबेडकर नगर अक्षय तृतीया पर्व मनाने की खास वजह वैदिक पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि पर अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। इस शुभ तिथि पर भक्त जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं। अक्षय तृतीया के दिन अबूझ मुहूर्त होता है। इसलिए इस तिथि पर किसी भी समय शुभ और मांगलिक काम किए जा सकते है। वहीं प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश कुमार मिश्रा ने अक्षय तृतीया का धार्मिक महत्व वैशाख में अक्षय तृतीया मनाई जाती है।अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी की पूजा होती है।
इस दिन सोना और चांदी खरीदना शुभ होता है। अक्षय तृतीया के पर्व को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, अक्षय तृतीया के अवसर पर सभी कामों को करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन सोना और चांदी खरीदना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन विशेष चीजों का दान करने से धन लाभ के योग बनते हैं। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जाता है? अगर नहीं पता, तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल को शाम 05 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 30 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट पर तिथि खत्म होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय तिथि का विशेष महत्व है। ऐसे में इस बार 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा।
अक्षय तृतीया के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक है। इस दौरान किसी भी समय साधक पूजा-अर्चना कर सकते हैं।इसके अलावा अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान परशुराम जी का जन्म हुआ था। भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम माने जाते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भगवान परशुराम ऋषि जमदग्नि और राजकुमारी रेणुका के पुत्र थे। अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती का पर्व भी मनाया जाता है।