साकेत न्यूज संवाददाता अम्बेडकर नगर
दशकों से एक ही स्थान पर तैनात हैं दर्जनों अधिकारी
नई स्थानांतरण नीति में अधिकतम तैनाती का समय केवल 3 वर्ष
भ्रष्टाचार पर नहीं लग पा रही लगाम
तबादला नीति बेअसर,जनपद में वर्षों से कुंडली मारे बैठे हैं कई अभियंता
अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड में भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं ले रहा। आए दिन कोई न कोई मामला भ्रष्टाचार को उजागर कर ही देता है। इसकी बानगी एक बार फिर देखने को मिली। मिली जानकारी के अनुसार स्थानांतरण नीति में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड अयोध्या के जिम्मेदारों द्वारा स्थानांतरण रोकने के लिए का मामला सामने आ रहा है।
मध्यांचल स्थानांतरण नीति में अंबेडकर नगर में भ्रष्टाचार में सबसे अव्वल चल रहा है। मध्यांचल के दर्जनों अधिकारी और कर्मचारी दशकों से एक ही स्थान पर तैनाती पाए हुए हैं। जबकि मध्यांचल स्थानांतरण नीति में भ्रष्टाचार में दूसरे नम्बर पर चल रहा है।सूत्रों का कहना है कि इन अधिकारियों के स्थानांतरण न करने के लिए एक बड़े अधिकारी के बाबू योगेश(कार्यकारी सहायक) द्वारा मोटी रकम बतौर सुविधा शुल्क लेकर स्थानांतरण रुकवाने के लिए कर्मचारी उक्त बाबू की गणेश परिक्रमा कर रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार उक्त बाबू से टांडा के में तैनात विवेक टीजीटी सेकंड , दुर्गेश पांडे टी जी सेकंड और विवेक यादव बाबू महेंद्र सिंह जो कि पहले ही उक्त बाबू से संपर्क स्थापित कर अपना स्थानांतरण रुकवा लिए हैं
सूत्रों का कहना है कि इन लोगों के स्थानांतरण न करने के लिए एक बड़े अधिकारी को मोटी रकम बतौर सुविधा शुल्क भी दी गई। जिससे ये तो साफ होता है कि मघ्यांचल के अधिकारियों का भी कोई खौफ नहीं है और उनके आदेशों ठेंगा दिखा रहे हैं।उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र द्वारा स्थानांतरण नीति को लेकर करीब दो वर्ष पूर्व कुछ बदलाव किए गए थे।
मुख्य सचिव ने समस्त अपर मुख्य सचिव, समस्त प्रमुख सचिव व समस्त सचिव को पत्र के माध्यम से नई स्थानांतरण नीति लागू करने के निर्देश दिए थे। जिसमें कहा गया था कि जो अधिकारी जनपद के अधिकारी जो अपने सेवाकाल में संबंधित जनपद में कुल 3 वर्ष पूर्ण कर चुके हों, उन्हें जनपदों से बाहर ट्रांस्फर कर दिया जाये ।
इसी प्रकार अपने सेवाकाल में एक मण्डल में 7 वर्ष पूर्ण कर चुके अधिकारियों को भी स्थानान्तरित कर दिया जाये।स्थानांतरण नीति में बदलाव किए हुए करीब दो वर्ष बीत चुके है उसके बावजूद मघ्यांचल का प्रबंधन तंत्र बेखौफ होकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है। इससे प्रदेश सरकार की छवि भी धूमिल हो रही है। दशकों से जमे अधिकारियों के कुछ नाम सामने भी आए हैं।