साकेत न्यूज संवाददाता अम्बेडकर नगर
अंबेडकरनगर।
बिजली विभाग में आजकल बड़ा ही इनोवेशन चल रहा है – अब काम के लिए चीफ का अनुमोदन लेने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि एक्सियन साहब और जेई प्रदीप पांडेय खुद ही “चीफ साहब” बन गए हैं।
मतलब – खेल भी खुद, अंपायर भी खुद, और ट्रॉफी भी खुद को!
पोल शिफ्टिंग का रहस्य:
11 हज़ार वोल्ट लाइन के दो पोल ऐसे गायब हुए जैसे गली से आवारा कुत्ते पकड़कर नगर पालिका ले जाए। नियम तो साफ कहता है – चीफ अभियंता की अनुमति जरूरी है। लेकिन यहाँ साहब लोगों ने चीफ का फोटो आईडी भी नहीं दिखाया और पोल धड़ाम से शिफ्ट!
📞 सवाल-जवाब का मज़ेदार किस्सा:
अधीक्षण अभियंता से पूछा गया – “बिना चीफ अनुमोदन के पोल खिसक सकता है?”
👉 उन्होंने जवाब दिया – “नहीं, बिना चीफ अनुमोदन के तो बल्ब भी नहीं जल सकता!”
(जनता बोली – तो फिर ये पोल किसके सपने में खिसक गया?)
एक्सियन मोहित कुमार से मीडिया ने पूछा –
पहले बोले “मीटिंग में हूं”
दूसरी बार फोन ही काट दिया!
(लगता है मीटिंग का एजेंडा यही था – फोन कैसे काटें और मीडिया से कैसे बचें?)
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खबर प्रकाशित के बाद एक्सियन साहब का नया ड्रामा:
सुबह-सुबह मीडिया को खुद फोन करके बोले –
“बताइए कहाँ का मामला है, मैं अभी कार्यवाही करता हूँ।”
मीडिया ने सबूत भी थमा दिए।
एक घंटे बाद… पूरे दिन मोबाइल पर सिर्फ यही आवाज़ –
“The number you are trying to call is currently switched off or not reachable!”
(लगता है पोल शिफ्ट करने के साथ-साथ मोबाइल नेटवर्क भी शिफ्ट हो गया।)
जेई प्रदीप पांडेय का बचाव:
जेई साहब ने बड़ी मासूमियत से कहा –
“हमारा काम तो सिर्फ एस्टीमेट बनाना और रसीद देना है, अनुमोदन ऑफिस में रहता है।”
अब जनता पूछ रही है – अगर अनुमोदन ऑफिस में रहता है तो पोल सड़क पर कैसे चल दिए?
कहीं ऐसा तो नहीं कि ऑफिस की फाइल पर ही खुद चीफ की मुहर बना ली गई हो?
जनता का सवाल:
👉 अगर चीफ साहब का अनुमोदन सच में था तो कॉपी क्यों नहीं दिखाई जा रही?
👉 अगर नहीं था, तो पोल शिफ्टिंग का जादू किस तंत्र-मंत्र से हुआ?
बिजली विभाग में अब “चीफ” की पोस्ट भी आउटसोर्स कर दी गई है।
आज एक्सियन साहब चीफ,
कल जेई साहब चीफ,
और परसों शायद लाइनमैन भी चीफ बनकर पूरे ग्रिड को ही शिफ्ट कर दें! 😜



