साकेत न्यूज संवाददाता अम्बेडकर
अंबेडकरनगर एक महिला ने अपने पति के साथ हुए विवाद के बाद थाने में शिकायत दर्ज कराने के लिए पहुंची। जब उसकी शिकायत पर तत्काल सुनवाई नहीं हुई, तो उसने आत्महत्या करने की धमकी दी। जब उसकी बात नहीं सुनी गई, तो उसने थाने के सामने फांसी लगा ली। गलीमत रही की खेल रहे बच्चो ने देखा तो हल्ला गुहार मचाने पर आस पास व थाने की पुलिस ने पहुंचकर आनन फानन में फांसी के फंदे से नीचे उतारा, पति को घर से लाकर सरकारी एंबुलेंस के माध्यम से भीटी सीएचसी पहुंचाया। हालत गंभीर देख चिकित्सकों ने महिला को जिला अस्पताल रेफर कर दिया। महिला को करीब चौबीस घंटे बाद होश आया। पूरा मामला महरुआ थाना क्षेत्र के हिड़ी पकड़िया गांव का है।
मिली जानकारी के अनुसार आरती यादव व उसके पति दिनेश यादव के बीच कई दिनों से आपसी विवाद चल रहा था।रविवार दोपहर करीब 2 बजे विवाद बढ़ा तो पत्नी आरती महरुआ थाना पहुंचकर पति के खिलाफ प्रताड़ना करने का आरोप लगाते हुए लिखित शिकायती पत्र देकर अपनी आपबीती बताई। मौके पर हल्का दरोगा व अन्य पुलिस कर्मी मौजूद थे। आरोप है लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की।महिला ने जब उच्च अधिकारियों के पास जाकर शिकायत करने की बात कही तो मौजूद पुलिसकर्मियों द्वारा कहा गया की कही भी जाएगी कार्यवाही यही से होगी उसका मजाक उड़ाते हुए डाट कर भगाने लगे।
महिला फिर भी फरियाद करती रही किसी को महिला की फरियाद पर दया नही आई। जिस पर महिला ने कहा अगर मेरी तत्काल सुनवाई नहीं की गई और हमारे पति को नही बुलवाया गया तो मैं अभी थाने के सामने ही फांसी लगाकर फंदे से झूल जाऊंगी। लेकिन तब भी पुलिस कर्मियों ने उसको कोई संतावना नही दिया।और न ही उसे समझाने बुझाने का प्रयास किया। महिला थकहार कर थाने के ठीक सामने पीपल के पेड़ के पास अपनी साड़ी को उतारते हुए पेड़ की डाल में बाधकर फंदे से झूल गई। जिसपर वहा खेल रहे बच्चो के द्वारा पूछा गया की आप चाची क्या कर रही है। लेकिन महिला ने उन बच्चो की कुछ नहीं सुना।
जिस पर बच्चों ने गांव अगल-बगल के लोगों से तत्काल घटना के बारे में जानकारी दी जानकारी होते ही महरुआ थाने के पुलिसकर्मियों के हाथ पांव फूल गए और तत्काल महिला को फंदे से नीचे उतारते हुए एंबुलेंस बुलवाकर तत्काल उसके गांव जाकर उसके पति को लाते हुए सीएचसी भीटी इलाज के लिए भेज दिया गया और इतना सब बीत जाने के बाद भी महरुआ थाना अध्यक्ष दिनेश सिंह को घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है। जहां महिला ने मीडियाकर्मी से बताया कि 24 घंटे बाद उसे घर आने पर जब होश आया तो वह अचंभित रह गई की हम तो महरुआ थाने पर गए थे यहां कैसे पहुंच गए घटना की जानकारी मिलते ही मीडिया कर्मियों ने महरुआ थाने पर फोन कर जानने की कोशिश की गई थी तो मीडिया कर्मियों को गुमराह कर बताया गया कि ऐसी कोई घटना हमारे जानकारी में नहीं है जबकि पीड़िता द्वारा मीडिया के समक्ष खुद बयान देते हुए उसने बताया की महरुआ थाने पर हमारी सुनवाई नहीं हुई और हमारा मजाक बनाते हुए वहां से भगा दिया गया। मजबूरन हमको यह कदम उठाना पड़ा क्योंकि हमारी यह दूसरी शादी है और हमारा यहां कोई नहीं है और हमारा मायका उज्जैन है और हमारे पति दिनेश की भी दूसरी शादी है इनके दो बच्चे एक लड़की और एक लड़का है।
जिसकी देखभाल भी मैं ही करती हूं इसलिए पति की प्रताड़ना और महरुआ थाने पर न्याय न मिलने के कारण मुझे मजबूरन फंदे से लटकना पड़ा पीड़िता के गले में अभी भी चोट के निशान से स्पष्ट होता है कि 1 मिनट की देरी के बाद पीड़िता की मौत निश्चित थी अब सवाल उठता है पुलिस प्रशासन पर की ऐसे गरीब पीड़ित व्यक्तियों को न्याय क्यों नहीं दिया जा रहा है जबकि पुलिस अधीक्षक केशव कुमार के इतने सख्त रवैया के बाद भी पुलिस कर्मियों को कोई असर नहीं पड़ रहा है।
थाने पर फरियादीयो को न्याय मिलना मुश्किल हो गया है। बिना पैसे के मुकदमे भी नही दर्ज किए जा रहे हैं। जिनके पास पैसे नहीं है उनका मुकदमा ही नही दर्ज हो पा रहा है बल्कि विपक्षी से पैसा लेकर उल्टा ही पीड़ित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया जा रहा है। पूरा थाना दलालों का अड्डा बन चुका है। पुलिस अधिकतर मामलों में लीपा पोती करने की कोशिश करती है।
अब देखना है की ऐसे दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है। जिनके लापरवाही के चलते एक महिला अपनी जान देने पर मजबूर होकर फांसी लगा ली थी।