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टांडा नगर पालिका पर भ्रष्टाचार का साया: अध्यक्ष शबाना नाज़ व सहयोगियों पर गंभीर आरोप,

साकेत न्यूज संवाददाता अम्बेडकर नगर

अम्बेडकरनगर जिले की तहसील टांडा अंतर्गत ‘ए’ श्रेणी की नगर पालिका परिषद पर वित्तीय अनियमितताओं व शासकीय धन के गबन के गंभीर आरोप लगे हैं। स्थानीय सभासदों व विभागीय सूत्रों के अनुसार, पालिका अध्यक्ष शबाना नाज़ व उनके करीबियों द्वारा जलकल विभाग के उपकरणों की चोरी से लेकर डीजल खरीद में फर्जीवाड़े तक का सिलसिला चल रहा है। पिछले दो वर्षों में दर्जनों ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लेकिन जांच के नाम पर महज औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। जनता का आरोप है कि विकास के नाम पर करोड़ों का बजट लूटा जा रहा है, जबकि बुनियादी सुविधाएं जैसे पानी की आपूर्ति आज भी प्रभावित हैं।

जलकल विभाग में सिलसिलेवार चोरियां: इंजीनियर की ‘छुट्टी’ का रहस्य

विभागीय सूत्रों के मुताबिक, पालिका के जलकल अनुभाग में हालिया चोरियां किसी सुनियोजित साजिश का हिस्सा लग रही हैं। गत कुछ माह पूर्व सकरवाल स्थित प्राथमिक विद्यालय के प्रांगण में निर्मित जल टंकी के पास दो कीमती सीसम के पेड़ चोरी हो गए। लाखों कीमत के इन पेड़ों की लकड़ी ट्रॉलियों से पालिका परिसर में ही बरामद हुई, जब मीडिया ने मामला उजागर किया। तत्कालीन उपजिलाधिकारी व अधिशासी अधिकारी अरविंद त्रिपाठी द्वारा जांच शुरू होते ही जलकल अभियंता आशीष चौहान (जो सफाई इंस्पेक्टर के रूप में भी कार्यरत हैं) रक्षा बंधन के बहाने छुट्टी पर चले गए। जांच के क्रम में एक आउटसोर्सिंग कर्मचारी पर ही मुकदमा दर्ज कर मामला दबा दिया गया, जबकि पुलिस जांच आज भी लंबित है।इस घटना से महज कुछ ही दिन पहले दीपावली के दौरान जल टंकी से 6-7 बैटरी चोरी हो गईं। सूत्र बताते हैं कि चोरी के समय अभियंता चौहान फिर छुट्टी पर थे। सवाल उठता है कि क्या हर बार शासकीय संपत्ति की चोरी से पहले अभियंता की ‘छुट्टी’ पूर्व-नियोजित होती है? स्थानीय निवासी नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, “पानी की सप्लाई जनरेटर पर लाखों डीजल खर्च होने का दावा किया जाता है, लेकिन वार्डों में एक-एक बूंद के लिए त्राहिमाम मचा रहता है। मोटर खराब होने का बहाना देकर शिकायतें ठंडे बस्ते में डाल दी जाती हैं।”

डीजल घोटाला: 2 लाख का फर्जी बिल, भुगतान पर रोक

एक और चौंकाने वाला खुलासा डीजल खरीद से जुड़ा है। पिछले अगस्त माह में मल्होत्रा पेट्रोल पंप से 70-80 हजार रुपये का डीजल खरीद का बिल प्रस्तुत किया गया, जबकि सितंबर में उसी पंप से 2 लाख से अधिक का फर्जी बिल भुगतान के लिए ठूंस दिया गया। अधिशासी अधिकारी अरविंद त्रिपाठी ने चेक सत्यापन के दौरान अनियमितता पकड़ ली और भुगतान पर रोक लगा दी। सूत्रों का कहना है कि यह गबन का महज एक उदाहरण है; वास्तविक हानि इससे कहीं अधिक है।

टेंडर घोटाला: 95 विकास कार्यों की निविदाएं रद्द, लेकिन कार्रवाई ‘शून्य’

गत वर्ष 95 विकास कार्यों के ई-टेंडरिंग में भी बड़ा घपला सामने आया। आरोप है कि अध्यक्ष शबाना नाज़ ने अपने चहेतों को कमीशन के बदले ठेके दिलवाए। एक आउटसोर्सिंग कर्मचारी गोकुल पर ही सारा दोष मढ़ दिया गया, जबकि जांच से अध्यक्ष की संलिप्तता सिद्ध हुई। जिलाधिकारी के हस्तक्षेप से सभी 95 टेंडर निरस्त कर दिए गए। ठेकेदारों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां जांच टीम गठित हुई। रिपोर्ट में पालिका अध्यक्ष को दोषी ठहराया गया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हर बार ‘क्लीन चिट’ मिलने से भ्रष्टाचार के हौसले बुलंद हो रहे हैं।

सभासदों का विद्रोह: वित्तीय अधिकार छीनने की मांग

पालिका के दर्जन भर सभासद लंबे समय से अध्यक्ष के खिलाफ लामबंद हैं।उन्होंने वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा कर चुके हैं, लेकिन हर प्रयास विफल रहा। एक सभासद ने बताया, “विकास के नाम पर सड़कें बनाई गईं, जो निर्माण होते ही क्षतिग्रस्त हो गईं। मानकों की अनदेखी कर जनता का पैसा लूटा जा रहा है।” जनता भी पछता रही है कि वोट देकर विकास की उम्मीद की, लेकिन बदले में केवल निराशा मिली।

जनहित में जांच की मांग: सिलसिला रुके, वरना…

जागरूक नागरिकों व सभासदों ने उच्च अधिकारियों से शीघ्र जांच टीम गठित करने की मांग की है। यदि समय रहते सच्चाई उजागर नहीं हुई, तो शासकीय धन का गबन व चोरी का सिलसिला और तेज होगा। पालिका प्रशासन ने इन आरोपों पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन विभागीय सूत्रों का मानना है कि स्वतंत्र जांच से ही हकीकत सामने आएगी।

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