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टांडा में जनसेवा बनी जनता की सजा: जाति,मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए भटक रही जनता, अफसर बने ‘दफ्तरवाले भगवान’

साकेत न्यूज सम्पादक काशी मिश्रा रिपोर्ट

टांडा अंबेडकरनगर नगर पालिका टांडा क्षेत्र के नागरिक इन दिनों बुरी तरह परेशान हैं। न तो जाति प्रमाणपत्र बन रहा,न ही मृत्यु प्रमाणपत्र की प्रक्रिया पूरी हो पा रही है। जनता लगातार एसडीएम टांडा और नगर पालिका के ईओ कार्यालय के चक्कर काट रही है, लेकिन समाधान के नाम पर केवल आश्वासन और फॉर्म वापसी ही मिल रही है।

जनता का आरोप है कि अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी को ‘कागजी खानापूर्ति’ तक सीमित कर दिया है। कई नागरिकों का कहना है कि वे एक-एक दस्तावेज के लिए पिछले कई हफ्तों से दौड़ लगा रहे हैं, लेकिन कोई भी अधिकारी न सुनवाई करता है न कार्रवाई।

एसडीएम दफ्तर भेजता है पालिका, पालिका वाले वापस एसडीएम… जनता का बना फुटबॉल”, एक बुजुर्ग महिला ने तंज कसते हुए कहा।

उधर, नगर पालिका कार्यालय में अक्सर बाबू नदारद रहते हैं या फिर फाइलें आगे बढ़ाने के नाम पर बहाने बनाए जाते हैं। सिस्टम की इस लचर व्यवस्था ने आम जनता को गहरी परेशानी में डाल दिया है।

क्या कहता है नियम, और क्या हो रहा है ज़मीनी हकीकत में?
सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि जाति, निवास, और मृत्यु प्रमाणपत्र जैसी मूलभूत सेवाएं समयबद्ध तरीके से दी जाएं, लेकिन टांडा में ये सेवाएं मज़ाक बनकर रह गई हैं।

शासन-प्रशासन से सवाल:,क्या अफसरों की जवाबदेही तय की जाएगी?,कब तक जनता चक्कर काटती रहेगी?,क्या टांडा की जनता को समय पर अधिकार नहीं मिलेंगे?

अब देखना यह है कि इस लापरवाही पर शासन क्या एक्शन लेता है। या फिर टांडा की जनता यूं ही अफसरों के दफ्तरों के चक्कर काटती रहेगी?

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