साकेत न्यूज संवाददाता अम्बेडकर
अंबेडकरनगर के महरुआ थाना क्षेत्र के अंतर्गत अजय कुमार की संदिग्ध मौत के मामले में न्यायालय ने गंभीर टिप्पणी करते हुए हत्या जैसे जघन्य अपराध की संभावना मानते हुए प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है।प्राप्त जानकारी के अनुसार, वादी शिवकुमारी ने आरोप लगाया था कि उसका पुत्र अजय कुमार दिनांक 28 मार्च 2025 को अपने दोस्तों के साथ गया था।

इसके बाद 30 मार्च की शाम अचानक उसकी तबीयत बिगड़ने की सूचना परिजन को मिली और उसे जिला अस्पताल अंबेडकरनगर में भर्ती कराया गया। वहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।वादी का आरोप है कि उसके पुत्र के शरीर पर चोट के निशान थे, नाक व कान से खून बह रहा था। परिजनों ने आशंका जताई कि अजय कुमार की हत्या की गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी शरीर पर चोटों का जिक्र किया गया। बावजूद इसके स्थानीय पुलिस द्वारा मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया और धारा 173(4) सीआरपीसी के तहत प्रेषित आख्या में हत्या की धाराओं को शामिल नहीं किया गया।

मामला न्यायालय में पहुंचने पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, अंबेडकरनगर ने पुलिस विवेचना पर असंतोष जताया और कहा कि उपलब्ध तथ्यों से प्रथम दृष्टया हत्या का अपराध बनता है। इस पर अदालत ने थाना महरुआ पुलिस को हत्या की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर आगे की विवेचना करने का आदेश दिया।
न्यायालय का आदेश
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुधा यादव ने अपने आदेश में कहा है कि –
“आवेदक द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र स्वीकार किया जाता है। क्षेत्राधिकारी भीटी, जनपद-अंबेडकर नगर को आदेशित किया जाता है कि यदि मुकदमा पंजीकृत नहीं हो तो आवेदक द्वारा प्रार्थना पत्र में किये गए कथनों के आधार पर उचित धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कराकर नियमानुसार विवेचना कराना सुनिश्चित करें। साथ ही माननीय उच्च न्यायालय के परिपत्र पत्र संख्या-8/2009 (एडीएम), जी-11 दिनांक 07.04.2009 के अनुपालन में प्रकरण में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर एक सप्ताह के भीतर न्यायालय प्रेषित करना सुनिश्चित करें।”अदालत का यह स्पष्ट निर्देश पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है और पीड़ित परिवार की आशंकाओं को बल देता है।



