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अंबेडकरनगर: ड्राइवर-कंडक्टर के अभाव में खड़ी हो गईं रोडवेज की 25 बसें,

साकेत न्यूज संवाददाता

अम्बेडकरनगर परिवहन निगम को न तो अपने घाटे की चिंता है और न ही यात्रियों की सुविधाओं की. ऐसी ही खबर अकबरपुर की है।बसों के संचालन के लिए ड्राइवर और कंडक्टर के न मिलने के कारण अकबरपुर डिपो की करीब 40 प्रतिशत बसे वर्कशॉप और डिपो में खड़ी हैं. डिपो से बड़ी संख्या में बसों का संचालन नियमित नहीं हो पा रहा. अकबरपुर डिपो में संचालित हो रही बसों के लगातार सफर में रहने की वजह से ब्रेक, स्टीयरिंग, एक्सीलेटर, बेयरिंग सहित अन्य पुर्जों में खराबी ज्यादा हो रही है.

इसके कारण वर्कशॉप में बसों की संख्या लगातार बढ़ रही है.रोडवेज फैजाबाद परिक्षेत्र के अकबरपुर डिपो में रोजाना औसतन 25 बसें रुट पर नहीं जा पा रहीं हैं, जिसके चलते 5 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है। इन बसों का संचालन ड्राइवरों, कंडक्टरों के अभाव में खड़ी रहती हैं।

इसकी वजह से डग्गामार बसों को पनपने का मौका मिल रहा है। ऐसे में डिपो को राजस्व की हानि होने के साथ यात्रियों को रोडवेज की सुविधा नहीं मिल पा रही है।वर्तमान समय में डिपो में 85 बसें हैं, लेकिन चालक की कमी से प्रतिदिन लगभग 25 बसें डिपो में खड़ी रहती हैं।

ऐसे में जिले के लोकल रूट पर प्रतिदिन यात्रियों को प्राइवेट वाहन से यात्रा करना पड़ता है। परिवहन निगम संविदा के रूप में 65 चालकों 75 परिचालक की भर्ती भी निकाला है, लेकिन अभी तक ड्राइवर डिपो में नहीं आ पाए है।

ऐसे में डिपो पर बस रहने के बावजूद भी यात्रियों को निराश होकर प्राइवेट वाहनों के पास जाना पड़ रहा है। चालक परिचालक के अभाव में बसें डिपो में खड़ी हो गई हैं. जिससे बसों का संचालन कम हो गया है।

इससे बड़ी संख्या में यात्री बसों के इंतजार में परेशान हो रहे हैं. जानकारों के अनुसार परिवहन निगम समय-समय पर जगह- जगह कैंप लगाकर संविदा पर चालकों की तैनाती तो कर ले रहा, लेकिन परिचालक नहीं मिल पा रहे।

सेवा योजना के जेम पोर्टल के माध्यम से तैनाती की प्रक्रिया होने से संविदा परिचालक नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में फैजाबाद परिक्षेत्र के अकबरपुर डिपो में परिचालकों की कमी पड़ गई है। जिम्मेदारों से वार्ता करने के पश्चात बताया गया कि इस समय क्रॉस चेकिंग चल रही है जब जब कि यह क्रॉस चेकिंग 15 मई से 17 मई तक चलना था कितनी प्राइवेट वाहनों का चालान हुआ ,जिसके बारे मे जिम्मेदार द्वारा नहीं बताया जा सका जिसके संबंध में एआरटीओ सत्येंद्र कुमार यादव से टेलिफोनिक वार्ता करने का प्रयास किया गया परंतु फोन नॉट रीचेबल बताता रहा था।

जिसमें एआरटीओ का सहयोग न मिलने के कारण जो गाड़ियां संचालित हो रही है उनकी भी इनकम नहीं आ पा रही है। कहीं ना कहीं ऐसी स्थिति में परिवहन विभाग निजी स्वार्थ में संलिपित होता दिखाई पड़ रहा है क्या जिम्मेदार इन समस्याओं का समाधान कर पाएंगे या नहीं यह अपने आप में यक्ष प्रश्न है।

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